तो ये है यस बैंक के डूबने कि वजह #yesbankfall
तो ये है यस बैंक के डूबने कि वजह 
भारत का चौथा सबसे बड़ा निजी बैंक अब डूबने के कगार पर है। इसके बेहद खराब दिन चल रहे हैं। हालात इतने खराब हो गए कि इस बैंक की कमान आर बी आई को संभालनी पड़ी। बैंक के शेयर लगातार गिरते जा रहे हैं। बैंक की इस हालत को देखते हुए आर बी आई के निर्देशानुसार एसबीआई और एल आई सी दोनों मिलकर इस बैंक को बचाने में मदद करेंगी।
लेकिन इस बैंक कि इतनी बुरी हालत कैसे हुई ? यह कहानी भी अपने आप में कितनी खास ये आप पढ़ने से ही जान पाएंगे।
यस बैंक की शुरुआत
साल 2004 में राणा कपूर और उनके सहयोगी अशोक कपूर ने मिलकर “यस बैंक “की शुरुआत की थी। 26/11 के मुंबई हमले में अशोक कपूर की मौत हो गई, उसके बाद अशोक कपूर की पत्नी मधु कपूर और राणा कपूर के बीच बैंक के मालिकाना हक को लेकर लड़ाई शुरू हो गई। मधु अपनी बेटी के लिए बोर्ड में जगह चाहती थीं। स्थापना के करीब 4 साल बाद ही परिवार की कलह बैंक पर हावी होने लगी और इसका परिणाम आज इस बैंक को भुगतना पड़ रहा है।
बैंक के संकट के कारण
पारिवारिक कारण: साल 2008 में जब अशोक कपूर की मौत हुई तो कपूर परिवार में कलह शुरू हो गई। अशोक की पत्नी मधु अपनी बेटी शगुन को बैंक के बोर्ड में शामिल करना चाहती थीं, मामले ने कुछ यूं तूल पकड़ा की मुंबई अदालत तक जा पहुंचा, जिसमें जीत राणा कपूर के पक्ष की हुई। थोड़े समय के लिए इस युद्ध पर विराम लगा और रणवीर गिल को बैंक का एमडी अपॉइंट किया गया। इस दौरान कॉर्पोरेट गवर्नेंस से समझौते के मामले सामने आए और बैंक कर्ज की चपेट में आ गया। धीरे-धीरे वक्त बदला और प्रमोटर्स ने अपनी हिस्सेदारी बेचनी शुरू कर दी।
अक्टूबर 2019 में नौबत यहां तक पहुंच गई कि राणा कपूर को अपने शेयर बेचने पड़े और उनके ग्रुप की हिस्सेदारी घटकर 4.72 प्रतिशत रह गई। सीनियर ग्रुप ने भी सितंबर में अपनी हिस्सेदारी बेच कर 3 अक्टूबर को रिजाइन कर दिया।
एनपीए बना सबसे बड़ा कारण
यस बैंक के पास रीटेल के काम जबकि कॉरपोरेट ग्राहक हैं। यस बैंक ने जिन कंपनियों को लोन दिया, उनमें अधिकतर घाटे में चली गईं या दिवालिया होने की कगार पर हैं। लिहाजा लोन वापस मिलने की कोई उम्मीद नहीं दिखाई देती है जिसके कारण बैंक का एनपीए बढने लगा और बैंक की हालत भी पतली होने लगी।
बैलेंस शीट में गड़बड़ी
यस बैंक पर संकट तब बढ़ने लगा जब बैंक के को-फाउंडर राणा कपूर को पद से हटा दिया गया। रिज़र्व बैंक ने कहा कि वह बैलंस शीट की सही जानकारी नहीं दे रहे। 31 जनवरी को उन्हें पद छोड़ने को कहा गया था। आर बी आई के अनुसार ‘राणा कपूर से जितनी बार बैंक के हालात पर चर्चा हुई उन्होंने बैंक की सही स्थिति नहीं बताई और आज हालात बद से बदतर हो गए।’
RBI ने लगाया जुर्माना
RBI ने बैंक पर 1 करोड़ रुपये का जुर्माना गया। आरोप था कि बैंक मेसेजिंग सॉफ्टवेयर स्विफ्ट के नियमों का पालन नहीं कर रहा था। इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल बैंक लेनदेन के लिए करते हैं। इसके बाद अगस्त 2019 में मूडीज ने यस बैंक की रेटिंग घटा दी। इसकी रेटिंग घटने से बैंक की हालत और खराब हो गई, बाजार में नकारात्मक संकेत पहुंचे।
मार्केट ग्राफ धड़ाम
सितंबर 2018 में जहां यस बैंक का मार्केट कैप 80 हजार करोड़ के आसपास था, वह 90% से ज्यादा घट गया है। अगस्त 2018 में बैंक के शेयर का प्राइस करीब 400 रुपये था, जो नकदी की कमी के चलते फिलहाल 18 रुपये के आसपास है। आज बैंक के शेयर 50 पर्सेंट नीचे कारोबार कर रहे हैं।
वित्त मंत्रालय का एक्शन
वित्त मंत्रालय की तरफ से 5 मार्च 2020 की शाम 6 बजे से 3 अप्रैल तक बैंक के डिपॉजिटर्स पर पाबंदी लगा दी गई। विदड्रॉअल की लिमिट सहित इस बैंक के कारोबार पर कई तरह की रोक भी लगा दी गईं है। इस दौरान बैंक के खाताधारक 50 हजार रुपये से अधिक नहीं निकाल सकेंगे। हालांकि इस बीच राहत की बात यह है कि किसी विशेष परिस्थिति( जैसे शादी ,पढ़ाई इत्यादि) में यह सीमा 5 लाख तक निर्धारित है । किसी खाताधारक के इस बैंक में एक से ज्यादा खाते हैं तब भी वह कुल मिलाकर 50 हजार रुपये ही निकाल सकेगा।
आरबीआई की तमाम कार्रवाईयों के बीच अब आरबीआई यस बैंक की बैलेंस शीट और एसेट क्वॉलिटी की जांच करेगा और फिर आगे की कार्यवाही तय करेगा। 30 दिनों के भीतर तय कर लिया जाएगा कि क्या यस बैंक एकबार फिर अपने ग्राहकों के लिए दोबारा शुरू होगा या फिर उसे किसी दूसरे बैंक में मर्ज किया जाएगा।
अपने आप में खास है यह बैंक
यस बैंक का हेडक्वॉर्टर मुंबई में है। देशभर में इसके 1000 से ज्यादा शाखाएं हैं और 1800 ए टी एम हैं। यस बैंक की महिला स्पेशल ब्रांच भी हैं, जो ‘यस ग्रेस ब्रांच’ के नाम से चलाई जाती है। इनमें महिलाओं के लिए खास प्रॉडक्ट ऑफर होते हैं। इनकी खास बात यह है कि इनमें पूरी तरह से महिलाओं का स्टाफ है। जो इस बैंक को अन्य बैंकों से खास बनाता है।
