दुद्धी को जिला बनाने की माँग पर अड़े लोग, कहा अगर ऐसा नहीं हुआ तो हम वोट नहीं देंगे
वाराणसी। दुद्धी (Duddhi) को जिला बनाने का ये प्रदर्शन (Display) बीते एक दशक से हो रहा है क्योंकि सोनभद्र (Sonbhadra) के जिला मुख्यालय (District Headquarters) से दुद्धी के कई गाँव 120 किलोमीटर से लेकर 150 किलोमीटर तक दूर हैं। लिहाज़ा यहाँ सुविधाओं (Features) का घोर अभाव है इसलिए इसे अलग से जिला बनाने की माँग है। दुद्धी जिला बनाओ संघर्ष समिति के प्रभु सिंह ने कहा कि जो दुद्धी जिला की बात करेगा वो विधानसभा (Assembly) में राज करेगा। इस मुद्दे को हम लोगों ने विगत चुनाव में भी उठाया था और यहाँ पर तमाम केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) कर्नल वीके सिंह, राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने वादा किया था कि हमारा विधायक बनाइए, सरकार बनाइए जिला बनेगा।
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यहाँ के विधायक (MLA) भी बने भारी बहुमत से सरकार भी बनी, लेकिन प्रदेश सरकार (State Government) ने जिला बनाने की सुध नहीं ली और यहाँ तक कि हमारा डेलिगेशन (delegation) जो विधायक के नेतृत्व में गया,उससे संतोषजनक ढंग से बात भी नहीं की गई, इसलिए इस मुद्दे को हम दोबारा उठा रहे हैं। हम लोग देख रहे हैं कि कौन-सा प्रत्याशी (Candidate) और कौन-सी पार्टी (party) दुद्धी को जिला बनाने की प्राथमिकता के साथ काम करेगा, उसी के लिए हम लोग काम करेंगे।
जिला मुख्यालय से 120 किलोमीटर दूर होने की परेशानी बरखोरहा गाँव (Barkhoraha village) के जगदीश यादव से समझी जा सकती है। जगदीश यादव को अपने इलाज (treatment) के लिए राबर्ट्सगंज (Robertsganj) जाना पड़ता है, जो उनके गाँव से 120 किलोमीटर दूर है और वहाँ तक पहुँचने में 5 घंटे लगते हैं।
बीमार मरीज (sick patient) के लिए ये सफ़र और पैसे दोनों के हिसाब से खराब है। बरखोरहा निवासी जगदीश यादव ने कहा कि हमारे यहाँ से जिला मुख्यालय 120 किलोमीटर दूर है। जाने का कोई साधन नहीं है। हम लोग यहाँ से टैंपो पकड़ के विंढमगंज (Vindhamganj) जाते हैं, विंढमगंज के बाद दुद्धी, उसके बाद रॉबर्ट्सगंज जाते हैं
और यहाँ से जिला मुख्यालय दूर होने की वजह से चार-पाँच घंटे लगते हैं और कभी-कभी गाड़ी भी नहीं मिलती है। हम आँख दिखवाने जाना चाह रहे हैं। आँख बनवाने में समय लगता है, उधर से गाड़ी भी नहीं मिलती जिसकी वजह से हम भटकते रह जाते हैं। एक तरफ का भाड़ा (Fare) भी ढाई सौ रुपये लगता है। यानी आने-जाने में 500 रुपये लग जाता है।
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बीजेपी (BJP) की सरकार देख चुके हैं। 5 साल के कार्यकाल में इस क्षेत्र में कुछ विशेष ध्यान नहीं दिया गया। रोड इतनी खराब है कि चलते-चलते लगता है गिर जाएँगे। विंढमगंज तक भी रोड अच्छी नहीं है, बहुत खराब और जर्जर है। जिले तक जाने के लिए सुबह 5 बजे निकलना पड़ता है और कभी-कभी गाड़ी न मिलने के कारण रास्ते में ही रुकना पड़ता है। बरखोरहा की तरह दुद्धी के भी कई ऐसे कई गाँव हैं, जो सोनभद्र जिला मुख्यालय से 120 किलोमीटर से लेकर 150 किलोमीटर तक दूर हैं।
प्रस्तावित दुद्धी जिले में 389 राजस्व गाँव सम्मिलित हैं, जिसमें दुद्धी के 305 राजस्व ग्राम तथा तहसील राबर्ट्सगंज के चोपन व नवसृजित कोन ब्लाक के सोन नदी (Son Nadi) के दक्षिण में स्थित राजस्व ग्रामों को सम्मिलित किया गया है, जिसकी कुल आबादी 14 लाख तथा क्षेत्रफल 2380 वर्ग किलोमीटर है, जो उत्तर प्रदश (Uttar Pradesh) के कई जिलों से बड़ा है।
यही वजह है की पूर्व की कई सरकारों ने इस माँग को जायज़ माना था। दुद्धी बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट जितेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि जिले का मुद्दा कोई नया मुद्दा नहीं है। 4 मार्च 1989 को तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी जिले का शिलान्यास करने के लिए आए हुए थे तो यहाँ की जनता की माँग को देखते हुए जिले को उन्होंने अस्थाई जिला घोषित किया और आचार्य कमेटी ने यहाँ की भौगोलिक स्थिति (geographical situation) के बारे में सर्वे (survey) किया था। आचार्य कमेटी ने रिपोर्ट दी कि जिला मुख्यालय जब भी बने सोन नदी के दक्षिण में 10-12 क्षेत्रों का उन्होंने उल्लेख किया था कि यहाँ जिला बनना चाहिए। लास्ट में उन्होंने अपना कंक्लूज़न लिखा कि जिला यहाँ के लिए उपयोगी तभी होगा जब सोन नदी के दक्षिण भूभाग में जिला बन जाएगा।
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गौरतलब है कि दुद्धी को जिला बनाने का मुद्दा गरम है, जिसे लेकर प्रशासन (Administration) भी सतर्क है। चुनाव (election) में इसे लेकर कोई घटना घटित ना हो इसलिए दुद्धी जिला बनाओ संघर्ष समिति के नेताओं को नजरबंद किया जा रहा है, वहीं सभी पार्टी के लोग इस मुद्दे को लेकर अपने पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास कर रहे हैं।