मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय पर DM ने कराया स्टिंग ऑपरेशन, 5 हज़ार घूस लेते पकड़ा गया लिपिक
गोरखपुर। गोरखपुर (Gorakhpur) के रजिस्ट्री (registry) एवं संभागीय परिवहन कार्यालय (Divisional Transport Office) में स्टिंग ऑपरेशन (sting operation) के ज़रिए भ्रष्टाचार (corruption) को उजागर करने वाले जिलाधिकारी (DM) विजय किरन आनंद ने स्वास्थ्य विभाग (health department) में भी स्टिंग ऑपरेशन कराया गया है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय में दिव्यांग पटल (handicap board) पर कार्यरत लिपिक (Clerk) सत्य प्रकाश शुक्ला को 5000 रुपये घूस (bribe) लेते हुए पकड़ा गया है। यह पूरी घटना स्टिंग ऑपरेशन के ज़रिए वीडियो में कैद हो गई है।
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जिलाधिकारी ने सीएमओ (CMO) को पत्र लिखकर एफआईआर दर्ज (FIR filed) करने का निर्देश दिया है और विभागीय जाँच (departmental inquiry) कराने को लेकर सीएमओ को पत्र द्वारा निर्देशित किया है। गोरखपुर के जिलाधिकारी विजय किरन आनंद ने जीरो टॉलरेंस नीति (zero tolerance policy) और गोरखपुर को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने की दिशा में पूरी तरह से कमर कस ली है।
कुछ दिन पहले गोरखपुर के जिलाधिकारी ने आरटीओ (RTO) और रजिस्ट्री दफ़्तर में स्टिंग ऑपरेशन कराकर भ्रष्टाचार का बड़ा भंडाफोड़ किया था, जिसमें कुछ अधिकारियों सहित कुल 12 लोगों पर मुकदमा दर्ज हुआ था। कुछ लोगों की गिरफ़्तारी भी हो चुकी है। अब एक बार फिर गोरखपुर के जिलाधिकारी के निर्देश पर रेवेन्यू डिपार्टमेंट (revenue department) की टीम ने सीएमओ कार्यालय का ही स्टिंग ऑपरेशन कर डाला, जिसमें जिला चिकित्सालय (District hospital) में धन उगाही (raise fund) कर विकलांग प्रमाण पत्र (handicap certificate) बनवाने वाले रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है।
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यह पूरी घटना स्टिंग ऑपरेशन के ज़रिए कैमरे में कैद हुई है। जिलाधिकारी ने जाँच प्रमाणित होने के बाद सीएमओ आशुतोष कुमार दुबे को निर्देश दिया है कि उनके कार्यालय में तैनात लिपिक सत्य प्रकाश शुक्ला पर मुकदमा दर्ज करा कर विभागीय कार्रवाई की जाए। बता दें, अभी कुछ दिन पहले गोरखपुर के जिला अस्पताल परिसर के न्यू ओपीडी भवन (OPD building) में दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने के नाम पर बिचौलिए दिव्यांगों से धन उगाही कर रहे थे, जिसको रंगे हाथ मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने पकड़ा था। बिचौलियों ने एक संविदा लिपिक का नाम भी लिया था, जिसकी सेवा तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दी गई थी। उसी समय इस बात की संभावना भी जताई जा रही थी कि इस मामले में किसी स्थाई कर्मचारी की मिलीभगत हो सकती है।
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए गोरखपुर के जिलाधिकारी विजय किरन आनंद ने चिकित्सा विभाग में स्टिंग ऑपरेशन कराया, जिसमें लिपिक एक आवेदक से प्रमाण पत्र बनवाने के लिए ₹5000 रिश्वत लेता हुआ नज़र आ रहा है। जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी (chief Medical Officer) को निर्देश दिया है कि इस मामले में वह लिपिक सत्य प्रकाश शुक्ला के विरुद्ध धारा 409 एवं 7/13 भ्रष्टाचार अधिनियम (corruption act) के तहत मुकदमा दर्ज कराएँ। जिला अधिकारी द्वारा अलग-अलग विभागों (departments) की स्टिंग ऑपरेशन कराने से अब कर्मचारियों और अधिकारियों में एक डर बन गया है।