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कोरोना काल में जेल प्रशासन द्वारा पैरोल पर छोड़े गए कैदी नहीं आए वापस, 16 कैदियों की पुलिस कर रही तलाश

शाहजहाँपुर। भारत (India) की जेलों (Jails) में उनकी क्षमता से कहीं अधिक कैदी (prisoner) बंद हैं। इनमें से कई सज़ा काट रहे हैं तो कई किसी आरोपों (allegations) में बंद हैं। वो अपने मामलों की सुनवाई का इंतज़ार करते हुए जेलों में बंद हैं। जब साल 2020 में कोरोना (Corona) आया था तब यह जेलें एक तरह से कोरोना बम बन सकती थीं, इसलिए उस वक्त सरकार (government) और जेल प्रशासन (jail administration) ने कुछ कैदियों को पैरोल (parole) पर छोड़ दिया था।

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उन्हें एक निश्चित समय के बाद वापस आना था। लेकिन उनमें से कई कैदी पुलिस (police) को गच्चा देकर गायब हो गए हैं और वापस जेल आए ही नहीं। मामला उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के शाहजहाँपुर (Shahjahanpur) जिले का है। यहाँ कोरोना के दौरान जेल से 39 कैदी पैरोल (parole) पर छोड़े गए। लेकिन पैरोल का टाइम पूरा हो जाने के बाद भी 16 कैदी वापस ही नहीं आए हैं।

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निर्धारित अवधि बीत जाने के बाद भी जेल वापस नहीं आने पर जेल प्रशासन ने उनकी गिरफ़्तारी (arrest) के लिए पुलिस से संपर्क साधा है। जेल अधीक्षक (jail superintendent) मिजाजी लाल ने बताया कि कोविड-19 संक्रमण (COVID-19 virus) जब काफ़ी तेज़ी से फैल रहा था, तब शासन के निर्देश पर शाहजहाँपुर जेल से बुजुर्ग और कम उम्र के कैदियों को पैरोल पर छोड़ा गया था। लाल के मुताबिक, ऐसे 39 कैदी थे, जिन्हें पैरोल पर रिहा किया गया था और उन्हें मई 2022 तक वापस आना था, लेकिन इनमें से महज़ 23 कैदी ही तय समय पर जिला कारागार (district prison) में लौटे हैं। उन्होंने बताया कि 16 कैदी अब भी लापता (missing) हैं, जिनके घरों पर नोटिस (notice) भेजे गए हैं।

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हालांकि, वे हाज़िर नहीं हुए, जिसके बाद संबंधित थाना (police station) और पुलिस अधीक्षक को उन्हें गिरफ़्तारी के लिए पत्र भेजा गया है। जेल अधीक्षक के अनुसार, लापता कैदियों में पाँच साल से लेकर आजीवन कारावास (Life imprisonment) तक की सज़ा पाने वाले कैदी शामिल हैं, जिन्हें 2021 में कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान शासन द्वारा गठित एक समिति (Committee) की सिफ़ारिश पर छोड़ा गया था। शासन से इन कैदियों को 26 मई 2022 को कारागार में दोबारा लाने का आदेश आया था, जिसके बाद उनके घर पर नोटिस गया, लेकिन 16 कैदी अभी तक जेल में नहीं आए हैं।

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