UP विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव ने टिकट बँटवारे को लेकर इस बार नहीं ली परिजनों की सलाह
यूपी। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections) में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) मुखिया अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने टिकटों के बँटवारे में अपने परिजनों को अहमियत नहीं दी है। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) हारे परिवार के सदस्यों को इस बाबत ना कह दिया गया है।
केवल शिवपाल यादव (Shivpal Yadav) के साथ गठबंधन (alliance) के चलते ही उन्हें टिकट मिल पाया है पर वह अपने बेटे को टिकट नहीं दिला पाए। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के भतीजे धर्मेंद्र यादव (Dharmendra Yadav) के भाई अनुराग यादव (Anurag Yadav) पिछले विधानसभा चुनाव में लखनऊ (Lucknow) की सरोजनीनगर सीट (Sarojini Nagar Seat) से चुनाव लड़े थे और जीतने में नाकाम रहे।
इस बार उन्हें कहीं से टिकट नहीं मिला। बताया जाता है कि अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव व रामगोपाल यादव (Ramgopal Yadav) की सहमति से निर्णय लिया कि परिवार की बहुओं को इस बार का विधानसभा चुनाव नहीं लड़ाया जाएगा। पिछले चुनाव में मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव (Aparna Yadav) को लखनऊ कैंट (Lucknow Cantt) से प्रत्याशी (candidate) बनाया गया था लेकिन वह भाजपा (BJP) की रीता बहुगुणा जोशी (Reeta Bahuguna Joshi) से जीत नहीं सकीं थीं।
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इस बार वह सपा (SAPA) छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गईं। मुलायम सिंह यादव के रिश्ते में समधी हरिओम यादव (Hari Om Yadav) पिछली बार सपा से सिरसागंज (Sirsaganj) से जीते थे। बाद में वह शिवपाल के साथ आ गए थे।
इस बार उनका टिकट (ticket) कटना तय था। वह भाजपा से प्रत्याशी हो गए। अखिलेश यादव के चचेरे भाई अंशुल यादव (Anshul Yadav) जिला पंचायत सदस्य (Jila Panchayat Member) हैं। उनकी भी विधानसभा चुनाव लड़ने की इच्छा भी पूरी नहीं की गई। मुलायम के बड़े भाई रतन सिंह (Ratan Singh) के पौत्र व पूर्व सांसद तेज प्रताप यादव (Tej Pratap Yadav) की भी विधायक (MLA) बनने की हसरत थी।
मुलायम के भाई राजपाल (Rajpal) के बेटे अंशुल को भी इसी कारण चुनाव मैदान (election ground) से दूर रखा गया। मुलायम परिवार के नई पीढ़ी के सदस्य धर्मेंद्र यादव, अक्षय यादव, तेज प्रताप यादव व डिंपल यादव (Dimpal Yadav) पिछला लोकसभा चुनाव नहीं जीत पाए। शुरू में माना जा रहा था कि पार्टी इन्हें विधानसभा चुनाव लड़ाएगी लेकिन परिवार ने इन्हें न लड़ाने का निर्णय लिया और इनसे कहा गया कि सभी प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार (Publicity) करें।