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38 साल बाद सियाचिन से शहीद का शव मिलने से जगी उम्मीदें….

दुनिया का जंग का सबसे ऊंचा मैदान है। साल 1984, यानी 38 साल पहले इस पर कब्जा पाने के लिए भारत ने ‘ऑपरेशन मेघदूत’ चलाया था। इस ऑपरेशन के तहत इंडियन आर्मी के 20 जवान पेट्रोलिंग के लिए निकले थे। लेकिन, उसी समय रास्ते में भयानक हिमस्खलन आया और सभी 20 जवान उसकी चपेट में आ गए। उस समय 15 जवानों के शव तो बरामद कर लिए गए, लेकिन 5 जवानों का कुछ पता नहीं चल सका था। हल्द्वानी निवासी लांस नायक दया किशन जोशी और सिपाही हयात सिंह के परिजनों का इंतजार और लंबा हो गया है।

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उन्होंने सरकार से गुहार लगाई है कि बचे सभी शहीदों का शव खोजा जाए और उनके परिवारों को सौंपा जाए। पता चला कि ऑपरेशन मेघदूत के दौरान कई जवान एवलांच में दब गए थे, जिनमें से एक वह भी थे। सेना के अधिकारियों ने बताया कि 19 शहीद जवानों में से करीब 14 लोगों के शव बरामद कर लिए गए हैं, लेकिन 5 लोगों का पता नहीं चल सका। इतना बड़ा हादसा हो जाने के बाद भी विमला जोशी ने हौसला नहीं खोया। दोनों बच्चों की परवरिश की और यह जानकर आपको बेहद गर्व महसूस होगा कि बड़ा बेटा भारतीय सेना का ही हिस्सा है।

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