जल्लादों को जल्लाद ने लटकाया
जल्लादों को जल्लाद ने लटकाया
The executioner’s hangs by executioner
आपको बता दे कि तिहाड़ जेल 1945 में अंग्रजो के जमाने मे बनना शुरू हुई थी और 13 साल बाद बनकर तैयार हुई थी और अंग्रेजों के जमाने मे ही फाँसी घर का नक्शा भी तैयार कर दिया था इसी फाँसी घर में चारों गुनहगारों को सजा मिल गयी।
तिहाड़ के अन्दर काल कोठरी नाम की एक स्पेशल सेल होती है जिन्हें फाँसी की सजा सुनायी जाती है उनको उसी में रखा जाता है। जहां कैदियों को 24 घण्टे में 30 मिनट के लिए ही सिर्फ बाहर टहलने के लिए निकाला जाता है।
काल कोठरी की निगरानी तमिल नाडू की पुलिस करती है और 2 शिफ्ट में काम करती है कैदियों पे नज़र रखने की जिम्मेदारी के लिए ताकि वहाँ कोई कैदी फाँसी के पहले ही खुदखुशी ना कर ले ब्लैक वॉरेंट / डेथ वारेंट जारी होने के बाद फाँसी की तारीख़ प्रशासन कोर्ट निर्धारित करती है।
क़ानूनी फॉर्म कॉलम no 42 मौत की सजा की तामिर,पहले कॉलम में जेल का न० जिस जेल में हो फाँसी चढ़ने वाले कैदी का नाम ,केस न०,किस दिन डेथ वारेंट जारी हो रही है,तारीख़, फॉर्म पर समय किस जगह फाँसी दी जाएगी और यह भी उन लोगों को तब तक लटकाया जाए जबतक मौत ना हो जाए, और सबसे नीचे जज के हस्ताक्षर होते है।
भारत में पहली बार चार कैदियों को एक साथ फाँसी दी ग़ई है।
निर्भया हत्याकाण्ड मामले में चार दोषियों को 20 मार्च 2020 को 5:30 बजे सुबह एक साथ चारों कैदियों को फाँसी दे दी ग़ई .
37 साल पहले 31 जनवरी को 1982 में दो कुख्यात अपराधी रंगा बिल्ला को एक साथ फांसी दी गयी थी, फिर करतार सिंह ,उजागर सिंह ,मोहम्मद अफ़सल को फाँसी दी जा चुकी है,पहले भी पूणे के यरवदा जेल में 1983 में 10 लोगों के कत्ल करने वाले 4 कैदियों को एक साथ फांसी की सज़ा सुनाई गई थी।
फाँसी देने में जल्लाद की भूमिका सबसे अधिक मानी जाती है। ………Anjali Pandey
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